राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय की कुलसचिव डा.अनीता रावत की नियुक्ति निरस्त करने के निर्देश शासन को दिए हैं। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार राजभवन ने कुलसचिव की नियुक्ति को नियमावली के विपरीत पाया है। यह भी पाया गया कि कुलसचिव शैक्षणिक योग्यता भी पूरी नहीं करती।
राज्यपाल ने बतौर विवि कुलाधिपति शासन को आदेश जारी किया है कि मौजूदा कुलसचिव की नियुक्ति निरस्त कर एक माह के भीतर नए कुलसचिव को नियुक्त किया जाए। उत्तराखंड तकनीकी विवि के कुलपति प्रोफेसर नरेंद्र एस चौधरी और कुलसचिव डाॅ.अनीता रावत के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा था। शासन ने डॉ. अनीता की 17 दिसंबर 2018 को बतौर कार्यवाहक कुलसचिव नियुक्ति किया।
उनकी प्रतिनियुक्ति एक वर्ष की थी। 18 दिसंबर 2019 को कुलपति ने उनकी नियुक्ति निरस्त कर दी थी। इसके बाद शासन ने उनका कार्यकाल बढ़ाने का आदेश कर दिया। इसके बाद मामला राजभवन पहुंचा। शासन के सूत्रों के अनुसार राजभवन ने कुलसचिव की नियुक्ति को लेकर विधिक परीक्षण कराया। जिसमें पाया गया कि नियुक्ति में पेच है। इसी को आधार बनाकर राज्यपाल ने बतौर कुलाधिपति उत्तराखंड तकनीकी विवि अधिनियम की धारा 39 का इस्तेमाल करते हुए डाॅ. अनीता की नियुक्ति निरस्त कर दी है।
राज्यपाल ने बतौर विवि कुलाधिपति शासन को आदेश जारी किया है कि मौजूदा कुलसचिव की नियुक्ति निरस्त कर एक माह के भीतर नए कुलसचिव को नियुक्त किया जाए। उत्तराखंड तकनीकी विवि के कुलपति प्रोफेसर नरेंद्र एस चौधरी और कुलसचिव डाॅ.अनीता रावत के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा था। शासन ने डॉ. अनीता की 17 दिसंबर 2018 को बतौर कार्यवाहक कुलसचिव नियुक्ति किया।
उनकी प्रतिनियुक्ति एक वर्ष की थी। 18 दिसंबर 2019 को कुलपति ने उनकी नियुक्ति निरस्त कर दी थी। इसके बाद शासन ने उनका कार्यकाल बढ़ाने का आदेश कर दिया। इसके बाद मामला राजभवन पहुंचा। शासन के सूत्रों के अनुसार राजभवन ने कुलसचिव की नियुक्ति को लेकर विधिक परीक्षण कराया। जिसमें पाया गया कि नियुक्ति में पेच है। इसी को आधार बनाकर राज्यपाल ने बतौर कुलाधिपति उत्तराखंड तकनीकी विवि अधिनियम की धारा 39 का इस्तेमाल करते हुए डाॅ. अनीता की नियुक्ति निरस्त कर दी है।
जांच में यह मिला
- कुलसचिव पद पर बीटेक की डिग्री और पांच वर्ष का प्रशासनिक अनुभव अनिवार्य, डा. अनीता नहीं हैं बीटेक डिग्री धारक।
- कुलसचिव की नियुक्ति प्रतिनियुक्ति के माध्यम से एक वर्ष के लिए। अधिकतम एक वर्ष के लिए और बढ़ाई जा सकती है। 31 दिसंबर 2019 को कुलसचिव की प्रतिनियुक्ति समाप्त हो गई, जिसे नहीं बढ़ाया गया।
- विवि प्रथम परिनियमावली 2018 के प्रावधानों के तहत नहीं हुई है कुलसचिव की प्रतिनियुक्ति।
- कुलसचिव की नियुक्ति का अधिकार राज्य सरकार के पास है, लेकिन यूटूयी एक्ट 2005 की धारा 39 के तहत कुलाधिपति को अधिकार देती है कि किसी भी व्यक्ति की नियुक्ति में विधिक मान्यता से संबंधित प्रश्न हो तो उस पर निर्णय ले सकता है। इसी अधिकार का इस्तेमाल राज्यपाल ने किया।
- कुलसचिव की नियुक्ति प्रतिनियुक्ति के माध्यम से एक वर्ष के लिए। अधिकतम एक वर्ष के लिए और बढ़ाई जा सकती है। 31 दिसंबर 2019 को कुलसचिव की प्रतिनियुक्ति समाप्त हो गई, जिसे नहीं बढ़ाया गया।
- विवि प्रथम परिनियमावली 2018 के प्रावधानों के तहत नहीं हुई है कुलसचिव की प्रतिनियुक्ति।
- कुलसचिव की नियुक्ति का अधिकार राज्य सरकार के पास है, लेकिन यूटूयी एक्ट 2005 की धारा 39 के तहत कुलाधिपति को अधिकार देती है कि किसी भी व्यक्ति की नियुक्ति में विधिक मान्यता से संबंधित प्रश्न हो तो उस पर निर्णय ले सकता है। इसी अधिकार का इस्तेमाल राज्यपाल ने किया।