ये जानकारी जुटाने के लिए खबरियों, इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स से लेकर सॉफ्टवेयर्स तक का इस्तेमाल किया जाता है जो न्यूडिटी और बच्चे के चेहरे पर दिखने वाले एक्सप्रेशन्स के बेसिस पर विडियो को जांच के लिए फॉरवर्ड करते हैं। बता दें कि प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्शुअल ऑफेंसेज (पॉक्सो) (अमेंडमेंट) ऐक्ट, 2019 में चाइल्ड पॉर्नोग्रफी के अंतर्गत 'फोटो, विडियो, डिजिटल या कंप्यूटर से बनाई तस्वीर जो असली बच्चे जैसी हो, या ऐसी तस्वीर जिसे बनाया गया हो, अडैप्ट किया हो या मॉडिफाई किया हो लेकिन बच्चे जैसी लगे', यह सब आता है।
ऐसे तय होता है, चाइल्ड पॉर्नोग्रफी है या नहीं